पौष माह की पूर्णिमा से माघ मास का पवित्र स्नान का शुभारंभ होता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व नदी, तालाब, कुआं आदि के जल से स्नान करते हैं। इसके बाद भगवान वासुदेव की पूजा की जाती है।
पूजा समाप्ति के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देकर विदा करते हैं। इससे भगवान वासुदेव प्रसन्न रहते हैं।
जो इस स्नान को करते हैं, वे देव-विमानों में बैठकर स्वर्गलोक को जाते हैं। कहते हैं कि माघ मास का यह स्नान पुण्यवानों को ही प्राप्त होता है।