शंकर जी की आरती | सोलह सोमवार आरती | solah somvar Aarti

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय एकानन चतुरानन पंचानन राजे। हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥

ॐ जय दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥

ॐ जय अक्षयमाला वनमाला मुण्ड माला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥

ॐ जय श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे । सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ॥

ॐ जय कर में श्रेष्ठ कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जग-हर्ता जग पालन कर्ता ॥ ॐ जय

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई गावे । कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे ॥ ॐ जय

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