केवल यही एकमात्र ऐसा व्रत है, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, स्त्री-पुरुष तथा अविवाहित कन्या आदि सभी प्रकार के मनुष्यों को समान अधिकार प्राप्त है। इस व्रत को करने वाला पूर्णिमा, अमावस्या, दशमी अथवा संक्रांति, जिस दिन भी वो चाहे सायंकाल में स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा-स्थान में आसन पर बैठकर आचमन लें और श्रीगणेश,… Continue reading श्री सत्यनारायण का व्रत / Shree Satyanarayana vrat karha